भारतीय संविधान अब संस्कृत और मैथिली भाषा में भी

नई दिल्ली: भारत का संविधान अब संस्कृत और मैथिली में पढ़ा जाएगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर भारत की दो प्राचीन भाषाओं मैथिली और संस्कृत में अनुवादित संविधान की प्रतियां जारी कीं। इस मौके पर उपराष्ट्रपति, दोनों सदनों के अध्यक्ष, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी मौजूद रहे. संविधान दिवस के मौके पर एक विशेष डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया गया. समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यह संविधान देश के बुद्धिमान लोगों का धर्म है. इसने देश की विविधता को आवाज दी है।’ गणतंत्र के राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में हमारा देश एक वैश्विक मित्र के रूप में उभरा है। आज पूरा देश अपने संविधान निर्माताओं को सलाम करता है. इस कार्यक्रम में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता एक साथ दिखे. संविधान की मिथली और संस्कृत प्रतियों के विमोचन के दौरान जहां पीएम मोदी राष्ट्रपति के साथ मंच पर थे, वहीं राहुल गांधी और मलकार्जन खड़गे भी मौजूद थे। इसके अलावा सदनों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष भी मंच पर थे. संविधान दिवस के मौके पर सदन की सामान्य कार्यवाही तो नहीं हुई, लेकिन दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाई गई. इस मौके पर राष्ट्रपति ने सभी सदस्यों को संविधान की प्रस्तावना भी पढ़ाई। गौरतलब है कि 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल के दौरान भारत की प्राचीन भाषा मैथिली को भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया था। इसे संविधान की आठवीं सूची में जोड़ा गया

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